उपन्यास - पायदान
लेखिका - सोना चौधरी
प्रकाशक - इतिहास बोध
कीमत - 45 ₹
प्रथम संस्करण - जून 2002
तृतीय संस्करण - जनवरी 2005
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लेखिका का परिचय
युवा लेखिका सोना चौधरी का हिंदी संसार में पदार्पण नारी विमर्श को नई दिशा ले जाने हेतु हुआ है। उनकी पहली कृति 'पायदान' नारी के प्रति पुरुषों की दुषित मनोवृत्ति को यथार्थ रूप में सामने लाती है। सोना चौधरी की अब तक तीन रचनाएँ - पायदान , विचित्र और गेम इन गेम प्रकाशित हुई हैं। लेखिका स्वयं राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल खिलाड़ी रह चुकी है। इन क्षेत्रों की विसंगतियों का उन्हें प्रत्यक्ष अनुभव है, और उन विसंगतियों लेखिका ने को अपनी रचनाओं में उजागर भी किया है।
उपन्यास की विशेषता
जून 2002 में प्रथम प्रकाशन से पायदान लगातार चर्चा में रहा है। दूसरे संस्करण में प्रसिद्ध उपन्यासकर मैत्रेयी पुष्पा की लंबी टिप्पणी भी आखिर में शामिल की गयी| मैत्रेयी पुष्पा लिखती है- " स्त्री का मर्दों के क्षेत्र में दस्तक देना अपने हाथ कटा लेने और पांव बांध देने की सजा का भागी है, आगे आकर बचा लेने वाला भी कोई कहाँ है ? सोना चौधरी ने इस दुभाग्यपूर्ण सच्चाई को खोलते हुए अपनी कहानी को बेबाक तरीके से कहा है। पायदान एक डिस्टर्बिन्ग उपन्यासिका है। "उपन्यास के पहले पृष्ठ पर लिखी ये पंक्तियाँ समाज के नग्न यथार्थ को प्रस्तुत करती है।"जैसे ही लड़कीकुछ नया करना चाहती है,अकेली पड़ जाती हैवरना लोग साथ देते हैंएक देवी काएक सती काएक रंडी का "
उपन्यास की कथावस्तु
पायदान उपन्यास एक लड़की के कशिश, आँचल और अंत में आस्था बन जाने की कहानी है। इस प्रक्रिया में उसे मर्दवादी सत्ता का सामना करना पड़ता है। अपनी इच्छा से अपनी जिंदगी जीना या निर्णय लेने के लिए उसे अपने अस्तित्व को खोना पड़ता है। समाज की दकियानुसी सोच द्वारा निर्मित विभिन्न पायदानों को चुनना पड़ता है। अपनी प्रसिद्धि व कीर्तिमान स्थापित करने हेतु उसे परिवारिक विरोध और सामाजिक तिरस्कार की शुरुआती पायदानों से गुजरना पड़ता है। फिर श्रम और यौन शोषण की पायदानें उसके हौसले को डगमगाती है।
लेखिका के शब्दों में - " किस्सा बस उस लड़की का जो अकेली भी निकलना चाहती है। अकेली, अस्तित्व की लड़ाई लड़ती हुई जिंदगी के पड़ावों से निकलकर न जाने कहाँ कहाँ पहुँचने को आमादा हो जाती है। हैवानों का संग साथ, अंजानों की आत्मीयता, बड़े कहे जाने वालों की दुष्टता, शरीफजादों की बदनीयत। संवेदन की छाँव, दुराव और तिरस्कार की धूप । निराशा की बदलियां और उम्मीद की किरणें। तरह तरह के लोग और अंत में लब्बोलुबाव यह कि इंसान के, उसके व्यवहार के तौर तरीके बदलते जाते हैं, दुनिया बदलती जाती है। "
उपन्यास की कथावस्तु मूलतः स्त्री शोषण पर केंद्रित है, जिसकी शुरुआत लेखिका के घर से ही होती है। बचपन में चाचा और उसके दोस्तों द्वारा किए गए दुष्कर्म के कारण लेखिका व उसकी बहन के मन में परिवारिक असुरक्षा का भय उत्पन्न होता है। यह घटना लेखिका को अंदर से झकझोर देती है। फुटबॉल की चाहत के कारण उसे अपनी जिंदगी में इस शोषण का नया अध्याय देखने को मिलता है, जो लेखिका के मन-मस्तिष्क को गहरे रूप से प्रभावित करता है। परिवार की जिम्मेदारी व आत्मनिर्भर बनने की इस दौर में कोच, अध्यक्ष, मैनेजर, मेजर, डॉक्टर, बॉस, भोंसले आदि कितने ही पुरूषों से लेखिका का सामना हुआ जो ना केवल उसके शरीर को नोच खसोट लेना चाहते थे, अपितु पुरूषवादी सत्ता के समक्ष खड़े होने की उसकी हिम्मत को भी तोड़ देना चाहते थे। लेखिका अंत तक अपने अस्तित्व को बचाने का प्रयत्न करती रही, पर मौकापरस्त पुरूष समाज उसे परिस्तिथियों से समझौता करने पर विवश कर देते है। फुटबॉल के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक जाने की इच्छा, अपनी अलग पहचान बनाने का सपना सब टूट जाता है। इस स्वार्थ लोलुप व कामुक पुरूष सत्ता के आगे लेखिका की आस्था डगमगा जाती है। उसके सपने अधूरे रह जाते हैं, साथ ही उसका अस्तित्व भी समाप्त हो जाता है। और लड़खड़ाते कदमों से लेखिका वापस घर को लौट आती है।
यह उपन्यास सच में हिंदी के नारी विमर्श साहित्य में प्रसिद्धि पाने का अधिकारी है। लेखिका सोना चौधरी के विषय में इतना ही कहूंगी कि इस तरह के उपन्यास लिखने के लिए जिस बेबाकी की जरूरत है, वह उनमें विद्यमान है। जिस निर्भिकता से वे इस क्षेत्र की विसंगतियों का चित्रण करती है, वह सराहनीय है। लेखिका जानती थीं कि इस उपन्यास से समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके बावजूद भी उन्होंने ये उपन्यास लिखा। लेखिका के शब्दों में स्वयं उनके घरवाले उनके द्वारा लिखी किताबों को बक्से में बंद कर रखते है, क्युंकि समाज सच में ऐसे उपन्यासों की सच्चाई स्वीकार नहीं कर पाता है, और विरोध में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो जाता है। ये रचनाएँ कपोलकल्पित नहीं है, वास्तविक जीवन से सरोकार रखने वाली है। अतएव समाज को निष्पक्ष होकर इन विमर्शों पर विचार करना चाहिए।
ज्योति कुमारी
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