'गबन' पुस्तक समीक्षा
उपन्यास - ग़बन
लेखक - मुंशी प्रेमचंद
प्रकाशक - प्रकाशन संस्थान
संस्करण - सन् 2017
मूल्य - 125 ₹
'ग़बन' उपन्यास की समीक्षा के माध्यम से हम 'ग़बन' उपन्यास की कथावस्तु, प्रमुख समस्याएं, उपन्यास की विशेषता व उद्देश्य , उपन्यास की भाषा शैली आदि पक्षों को देखते चलेंगे, साथ ही ग़बन उपन्यास के प्रमुख पात्रों की चर्चा करते हुए नायक व नायिका का चरित्रांकन करेंगे।
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लेखक परिचय
ग़बन मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक यथार्थवादी उपन्यास है। ग़बन उपन्यास 1931 में प्रकाशित हुई थी। 'निर्मला' उपन्यास के बाद प्रेमचंद जी ने इसकी रचना की है, एक तरह से यह निर्मला उपन्यास की अगली कड़ी के रूप हिंदी संसार में कीर्तिमान स्थापित किये हुए है। गोदान, सेवासदन, प्रेमाश्रम, ग़बन, रंगभूमि, निर्मला आदि अनेक उपन्यास प्रेमचंद जी ने लिखें है। प्रेमचंद (1880-1936) जी का जन्म बनारस के लमही गाँव में हुआ था। 1910 में इन्होंने उर्दू में पहला कहानी संग्रह सोज़ेवतन नाम से प्रकाशित करवाया ।उर्दू लेखन नवाब राय से करते थे। हिंदी में प्रेमचंद नाम से लिखने लगे। प्रेमचंद जी ने 300 से ज्यादा कहानियाँ लिखीं है। प्रेमचंद - विविध प्रसंग वैचारिक लेखों का संकलन है।
ग़बन का अर्थ क्या होता है
ग़बन अर्थात् चोरी। किसी की अमानत को हरपना। इस शब्द का प्रयोग विशेषकर सरकारी खज़ानों की चोरी के लिए प्रयुक्त होता है। आपने सुना होगा न्यूज़ में ख़बरें आती हैं फला व्यक्ति ने की इतने रुपयों का ग़बन किया। यह वही शब्द है।
ग़बन उपन्यास की विशेषता / उद्देश्य
1. यह एक यथार्थवादी उपन्यास है अतएव यह जीवन की असलियत की छानबीन गहराई से करता है।
2. समाज में व्याप्त भ्रम को दूरकर पाठक को नई प्रेरणा देता है।
3. नारी समस्या को व्यापक भारतीय परिप्रेक्ष्य में रखकर देखा गया है।
4. साथ ही इस समस्या को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा गया है।
5. समाज में रहने वाला हर व्यक्ति चाहे वह निम्न वर्ग से सरोकार रखता हो, चाहे मध्य वर्ग से या चाहे उच्च वर्ग से यह उपन्यास सभी का मार्गदर्शन करता है।
ग़बन उपन्यास की प्रमुख समस्याएं
1.मध्य वर्गीय प्रदर्शनप्रियता
2.स्त्रियों की आभूषणप्रियता
3. पुरुषों की अहं प्रवृत्ति
4. गृह कलह का पतन
5. व्यक्ति का दुर्बल चरित्र
ग़बन उपन्यास के पात्र
ग़बन उपन्यास का नायक रमानाथ है और नायिका जालपा है। उपन्यास के पात्र निम्न हैं-
रमानाथ ( नायक)
जालपा ( नायिका)
दीनदयाल ( जालपा के पिता)
दयानाथ ( रमानाथ के पिता)
रामेश्वरी ( रमानाथ की माँ)
बिसाती वाला, मानकी, सराफ वाला, राधा, शहजादी, बासंती, महाजन, सत्यदेव, गोपी, विश्वम्भर, रमेश बाबू, चरणदास, धनीराम, रतन, इंद्रभूषण, माणिकदास, देवीदीन, जग्गो, सेठ करोड़ीमल आदि।
ग़बन उपन्यास की कथावस्तु
ग़बन उपन्यास का आरंभ एक बिसाती वाले से होता है, जो चमकती धमकती चीज़ें दिखाता है। उस में एक चंदहार देखकर जालपा, जो अभी बच्ची ही थी अपनी माँ से जिद करने लगती है। उस वक्त माँ उसे मना कर देती है। पर जब दीन दयाल पत्नी के लिए चंद्रहार लाता है, तो जालपा गुस्सा हो जाती है। माँ के यह कहने पर की उसका हार तो ससुराल से आयेगा वह खुश हो जाती है, और यहीं से उपन्यास की आभूषण प्रियता की समस्या प्रारंभ होती है।
उपन्यास का नायक रमानाथ जिसका परिवार मध्य वर्गीय प्रदर्शन प्रियता का शिकार है, उससे जालपा की शादी हो जाती है। किंतु जालपा को चंद्र हार से मतलब था पर उसे वो नही मिलता क्युंकि रमानाथ का परिवार समाज में दिखावे के जरिये सम्मान पाना चाहते थे और इस कारण कर्जे में डूब जाते है। एक तो जालपा को चंद्रहार नही मिलता और दूसरे रमानाथ उसके बाकी गहने भी चुरा लेता है ताकि वह उससे कर्जा चुका सके। जालपा के सारे आभूषण चोरी हो जाने से वह बिल्कुल निष्प्राण हो जाती है।
उसकी इस हालत को देख रमेश बाबू रमानाथ को एक अच्छी सरकारी नौकरी लगा देते है, जिससे वह अच्छी कमाई करने लगा। और बाद में उन सरकारी रुपयों को भी जालपा के गहने बनवाने में खर्च कर देता है। इस बीच जालपा की सहेली रतन के पैसे भी खर्च कर देता है। छोटी छोटी समस्या एक दिन उसके लिए इतनी बड़ी हो जाती है कि उसे अपना घर छोड़ कलकत्ता आना पड़ता है। और यहाँ उसकी जिंदगी का नया अध्याय प्रारंभ होता है।
ट्रेन में उसकी मुलाकात देवीदीन से होती है। और उसीके घर वह रहने लगता है। गिरफ्तारी का डर भी उसे सताता है। अपने डर के कारण वह पुलिस वालों के नज़र में आ जाता है। और ग़बन का इलज़ाम कुबूल करता है। पर पुलिस वाले तो उसे यूँ ही उठा कर लाते है। और उसे इस इल्ज़ाम से बचने के लिए पुलिस वाले उसे एक केस में मुखबिर बनने को कहा जाता है। उस केस में पुलिस स्वतंत्रता सेनानियों को झूठी डकैती के मामले में फंसाकर अपने तौर पर स्वाधीनता आंदोलन का दमन करना चाहती है। यहीं रमानाथ की मुलाकात जोहरा से होती है। वहाँ उसका नैतिक पतन होता है।
बाद में वहाँ जालपा भी आती है उसे ढूँढते हुए और उसके बुरे कर्मो को वो अपने श्रम से मिटाना चाहती है। उपन्यास का अंत दुखान्त है क्युंकि जोहरा जिसने रमानाथ के प्रति अपने सच्चे प्रेम का परिचय दिया, जिसने जालपा के साथ मिलकर रमानाथ को छुड़ाने में मदद की थी, उसकी मृत्यु हो जाती है।
कुल मिलाकर यह उपन्यास स्त्री के आभूषण प्रियता से आरंभ होकर उसके त्याग व बलिदान की आत्मवेदी पर समाप्त हो जाती है।
ग़बन उपन्यास की भाषा शैली
ग़बन उपन्यास की भाषा स्पष्ट एवं सहज है। प्रेमचंद की भाषा की विशेषता यह है कि इनकी भाषा पात्रानुकूल है। शहरी पात्र की भाषा अलग और ग्रामीणों की अलग। शिक्षित और अशिक्षित पात्रों की पहचान इनकी भाषा शैली से ही पता चल जाता है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने भाषा को यथार्थ के धरातल पर उतारा है। सभी पात्र अपनी मनोदशा व परिस्थिति अनुकूल ही वार्तालाप करते है।
ग़बन उपन्यास में पात्र योजना
ग़बन एक चरित्र प्रधान उपन्यास है और इसका मुख्य धरातल मनोविज्ञान है। प्रेमचंद ग़बन उपन्यास के पात्रों की योजना इस प्रकार करते है, कि उनके पात्र अलग अलग व्यक्तित्व का प्रतिनिधि बनकर पाठकों के मन में अमिट छाप छोड़ देते है। ग़बन उपन्यास मध्यवर्ग के पतनोन्मुख व उन्नतिशील दोनों पहलुओं को उजागर करती है। प्रेमचंद ने इसमें उपन्यास की दृष्टि से पात्रों की संख्या उतनी ही रखी है जितने में ये कथावस्तु को विस्तार दे सकें और समाज के हर तबके के लोगों के चरित्र को उभार सकें। अधिक पात्रों की संख्या कभी कभी कथावस्तु को समझने में बाधा पहुँचाते है।
उपन्यास के पात्रों के माध्यम से प्रेमचंद यथार्थ पात्रों की सृष्टि करते है। ऐसे पात्र जो समाज में आज भी अपनी चारित्रिक प्रवृत्तियों के कारण बने हुए है। जालपा के माध्यम से एक ऐसी स्त्री का चित्रण करते है जिसने अपने जीवन में पति से ज्यादा आभूषणों को महत्व दिया। और उसके कारण ही रमानाथ एक के बाद एक अपराध करता चला गया। रमानाथ के माध्यम से ऐसे अहमवादी पुरुष का चित्र खींचते है, जो पत्नी के सामने बड़ी बड़ी बातें करता है। पर पीठ पीछे उसी के गहने चोरी कर अपने पिता को देता है। अपनी पत्नी को अपनी आर्थिक विवशता बताने के बजाय उसे प्रभावित करने हेतु उधार पर गहने ले आता है।
दयानाथ के माध्यम से ऐसे पिता का चित्र प्रस्तुत करते है जो समाज में दिखावे की जिंदगी जीते है, रमानाथ की शादी में भी जरूरत से ज्यादा खर्च होने पर कर्ज का बोझ आ जाता है, और उसकी भरपाई वे बहु के गहने देकर चुकाते है। यहाँ भी वे एक ऐसे पिता के रूप में प्रस्तुत होते है जिसे अपने बेटे को बहु के गहने चुराने पर डाँटना चाहिए पर वो ऐसा नही करते और स्वयं उस पाप में भागीदार बन जाते है। जोहरा का चरित्र समाज के ऐसे वर्ग को प्रस्तुत करता है जिसे लोग निकृष्ट कोटि का काम करनेवाले लोगों की श्रेणि में खड़े कर देते है। पर वही जोहरा अपने प्राणों की परवाह किये बग़ैर ही रमानाथ को उस जंजाल से मुक्त कराती है। उपन्यास में ऐसे पात्र भरे हुए है जो अपनी चरित्रगत विशेषता द्वारा पाठकों को संदेश देते है और उनका मार्गदर्शन भी करते है।
निष्कर्षतः ग़बन उपन्यास के पात्रों की योजना प्रेमचन्द जी ने बहुत विचार कर ही किया है। हर पात्र अपने चरित्र को बखूबी निभाता भी है। और समाज में सकरात्मक प्रभाव भी डालता है।
ज्योति कुमारी
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