हैं ज़िन्दगी ये मेरी, एक उलझी पहेली
थोड़े से पल खुशी के, क्यूं मेरी ज़िन्दगी में,
कोई सपना हैं अधूरा, कोई बात अनकही सी
हैं ज़िन्दगी ये मेरी, एक उलझी पहेली।
हर एक की तरह ही, था एक सपना दिल में
पा लूं वो सारी खुशियां, जो सिर्फ थी ख्वाबों में,
पर रह गई वो बातें, क्यूं आज भी अधूरी
हैं ज़िन्दगी ये मेरी एक उलझी पहेली।
अब ना हैं कोई शिकवा, ना आसरा किसी का
अब राह वो ढूंढेंगे, जो सिर्फ हो खुशी का
जीना ही है तो अब हम, जीयेंगे इस कला से
हैं ज़िन्दगी ये मेरी , एक सुलझी पहेली।
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